हरेली, जानिए छत्तीसगढ़ से, Hareli from Chhattisgarh

हरेली
संपादित: सीमा शर्मा

अनुक्रमणिका 

१ हरेली का परिचय 

२ प्रक्रिया 

३ अद्यतन 

हरेली
कृषकों का मनपसन्द त्यौहार हैं, वर्तमान समय में आधुनिक उपकरणों के सहायता से यह आर्थिक दृष्टिकोण से लाभदायक हैं, कृषि देवता बलराम के हाथ मे सुशोभित हल इसे समीचीन बनाता हैं, पारिवारिक व्यवसाय हेतु भी यह अच्छा विकल्प हैं। अधिकाधिक औद्योगिकीकरण, शहरीकरण से कृषि की महत्ता अत्यधिक हैं। यह कृषि कार्य की समाप्ति का द्योतक है। हरेली के समय किसान रोपाई-बियासी जैसे कृषि कार्यों से निवृत्त हो जाते हैं।
इस हरेली में सोमवती अमावस्या और स्नान दान श्रावण अमावस्या का विशेष संयोग है।
हरेली अथवा हरियाली, श्रावण अमावस्या, मास के आरंभ में यह लोकप्रिय, त्योहार छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया जाता है,
कृषकों के लिए इस दिवस का अर्थ, हरियाली, कृषि संपदा, एवं खेती खलिहान से है. खेती उपकरणों की पूजा की जाती है।



 इस दिन फसल की पूजा की जाती हैं, घर के बाहर, गाड़ियों में, नीम की पत्ते डालियों को सजाया जाता है , यह कीटों से रक्षा करता है, (दाद, खुजली, घाव, विष से इसका लेप बचाव करता है,  खड़ी फ़सलो तथा सब्ज़ियों में नीम तेल के घोल का छिड़काव टिड्डियों के प्रकोप से बचा सकता है) घरों में चावल आटे का चीला और गेहूं  आटे और गुड़ का गुलगुला बनाया जाता है, यह दिवस तंत्र साधना के लिए भी माना जाता है, गेड़ी का खेल खेला जाता है, नगरों में भी कुल्हाड़ी, खुरपा, कुदाली, सब्बल, गैती इत्यादि की पूजा की जाती है।
ग्रामीण अपने घरों में गाय, बैल, भैंस, आदि सभी को अंडी की पत्ती में गुड़ या नमक मिलाकर खिलाते है। ऐसा माना जाता है कि इसके उपयोग से पशुधन वर्षा ऋतु में उत्पन्न होने वाली बीमारियों से बच जाते है। इससे उनके शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ती है

पारंपरिक उपकरणों की पूजा तो होती ही है, आधुनिक समय में विभिन्न पद्धितियों की उपयोगिता भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जैसे की, हाल ही में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना स्वैच्छिक हुआ हैं,
कृषि उपकरण के साथ फ़सलो से सम्बंधित आर्थिक उपबन्ध महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना की पहल अनुसार ₹ २ किलो गोबर क्रय करेगी, जिससे जैविक खाद का निर्माण होगा और रासायनिक खादों से मुक्ति मिलेगी।

"अद्यतन"

"श्रद्धालुओं ने सोमवती अमावस्या का व्रत रखा और पूजा अर्चना की, किसान मास्क पहने खेत खलिहान में कृषि औजार, गेड़ी आदि की पूजा की, सोमवार की सुबह से भगवान शिव के साथ ही शनिदेव की पूजा अर्चना श्रद्धालुओं ने की । घर-घर कृषि औजार नांगर, कुदाली, फावड़ा सहित खेती-बाड़ी में काम मे आने वाले औजारों के साथ बांस से बनी गेड़ी की पूजा की, गुड़ के बने व्यंजन के साथ चीला, फरा, गुलगुला भजिया, सोहारी, खीर आदि का भोग अर्पित किया गया, साथ ही साथ बैलों गायों की पूजा अर्चना कर के आटे की लोंदी में जंगल से लाये हुए औषधि के पत्ते खिलाये। गांव के घरों के दीवारों में गोबर से श्री हनुमान जी के चित्र बनाये गए ताकि भूत प्रेत प्रवेश ना करे।" -  हिंदी समाचार पत्रनवभारत- राजधानी, 21 जुलाई, 2020,
            रायपुर, छत्तीसगढ़


देखे यह भी:-
facebook link: Seema Sharma As Blogger

अन्य रोचक लेख पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे

टिप्पणियाँ