व्यक्तित्व, डॉ. खूबचंद बघेल, Dr. Khoobchand Baghel

डॉ● खूबचंद बघेल
Dr. Khoobchand Baghel


सम्पादित: सीमा शर्मा

आज जन्मतिथि। १९/०७/२०२०
अनुक्रमणिका 
१ लघु परिचय(डॉ० खूबचंद बघेल)
२ चित्र परिचय 
३ साहित्य परिचय 

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं चिकित्सक छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वप्नद्रष्टा डॉ● खूबचंद बघेल का जन्म १९ जुलाई, १९०० को ग्राम पथरी(सिलयारी)जिला रायपुर छत्तीसगढ़ में पिता श्री जोधवन प्रसाद एवं माता श्रीमती केकती बाई के घर हुआ, १२० जन्मतिथि में डॉ● खूबचंद बघेल जयंती मनाई जाएगी।
कुछ प्रासंगिक:-
महात्मा गांधी से प्रभावित होकर डॉक्टर बघेल असहयोग आंदोलन में भाग लेते हुए स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े, एवं सन् १९३१ में शासकीय पद का त्याग करके नमक सत्याग्रह में. शामिल हुए। सन् १९४० में उन्हें स्वतंत्र, मुहिम में सक्रियता के लिए। कारावास हुआ, बाद में भारत छोड़ो आंदोलन में जुटने से उन्हें ढाई वर्ष का कारावास हुआ, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी छत्तीसगढ़ के सच्चे सपूत की तपस्या पूरी नही हुई एवं वह कृषि उद्योग के छत्तीसगढ़ी के उत्थान में सर्वस्व दे दिया।


डॉ बघेल की शुरआती शिक्षा-दीक्षा गृह ग्राम के पश्चात रायपुर में हुई, जिसके पश्चात उन्होंने  १९२५ में  नागपुर से चिकित्सा शिक्षा प्राप्त की, जिसके पश्चात वह सहायक चिकित्सा अधिकारी के बतौर पदस्थ हुए। स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए यह कांग्रेस में शामिल हुए।
१९५१ से १९६२ तक यह विधायक रहे, तथा १९६७ में राज्यसभा सांसद।
डॉ. खूबचंद बघेल के राजनीतिक जीवन की शुरुआत पं० रविशंकर शुक्ल के समकालीन हुई, जब पं० रविशंकर शुक्ल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे वह स्वास्थ्य विभाग में संसदीय सचिव थे. कुछ मतभेदों के उपजने से मंत्री डॉ० हसन के साथ इन्होंने पद त्याग दिया छत्तीसगढ़ राज्य के मांग हेतु यह अड़े रहे, कुछ समय बाद पं० राविशंकर शुक्ल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने में इन्होंने सहयोग किया जिसके बाद यह किसान मजदूर पार्टी के समर्थक थे, तब के समय यह कांग्रेस पार्टी का खुल कर विरोध करते थे जिसका मुख्य कारण छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण में सहयोग न करना था, किसान मजदूर पार्टी १९६३ में बैतूल के एक सम्मेलन में प्रजा समाजवादी पार्टी से विलय हो गयी।
छत्तीसगढ़ के चहुंओर उत्थान के इच्छित डॉ• बघेल ने छत्तीसगढ़ी भाषा, साहित्य के उत्थान के लिए लोक कला के उत्थान के लिए भ्रात संघ का निर्माण किया, वर्तमान में डॉ• बघेल की प्रतिमा फूल चौके, रायपुर में स्थित है, राज्य द्वारा संचालित 'डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना ११५ रोगों से सुरक्षा के लिए शासकीय चिकित्सालयों में आरक्षित है।

कृषि कार्य एवं कृषि उद्योग के उत्थान में  प्रतिवर्ष डॉ● खूबचंद बघेल कृषक रत्न सम्मान प्रदाय किया जाता है। वह उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ कुरीतियों को जड़ से  समाप्त करने में विश्वास रखते थे उनके साहित्य से गोचर होता है कि उनके  दृष्टि से वह विषम परिस्थितियों  को उरेकित करती  हैं और साहित्य से ज्वलंत समस्याओं को भी सुलझाया जा सकता है। 

भल नइये रइपुर मां ककरो, इंहा में फोकट आयेंव।

करिया कुरता वाले मन के दुवार फोकट आयेंव।

जातिगत आधार पर भोजन करने से रोक ना हो इसलिए उन्होंने "पंक्ति तोड़ो" की मुहिम चलाई। सन् १९५६, २८ जनवरी को राजनांदगांव में उन्होंने छत्तीसगढ़ महासभा की स्थापना की पृथक छत्तीसगढ़ के मांग के साथ स्वहित की ना सोचते हुए मंत्रिमंडल से पृथक छत्तीसगढ़ की मांग न स्वीकार करने के कारण त्यागपत्र दिया,   जिसके कारण, इन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। 

साहब बरोबर दूझन डउका मन मोला फोकट रोक लिन।

तब दस रूपिया के बल्दा मोला-कोरकागज देदिन।

कहूं मैं होतेंव इंहा के मालिक....ला मोर मन ला।

चमड़ी चमड़ी उकर उढेंरतेंव सोरियातेंव बदमाश ला।

जिसके बाद यह स्वतंत्र रूप से पृथक छत्तीसगढ़ की मांग पर कार्य करने लगे जैसे पर्चे बंटवाने का, आंदोलन करने का , लेख लिखना। पृथक छत्तीसगढ़ की मांग, राजनीतिक सामाजिक एवं आर्थिक शोषण व उपेक्षा के उत्तर में था।

२२ फरवरी , १९६९ को यह तारा  अस्तांचल में चला गया।

वर्तमान में कृषि के क्षेत्र में सर्वाधिक उत्पादन करने वाले व्यक्ति को ₹ २,००,००० की धनराशि, पुरूस्कृत की जाती हैं।

अच्छा अब मैं जाथंव भाई, नई सपना में रईपुर आवंव।

अतेक इज्जत होगे तऊन ला कहुं ला में नई बतावंव।

-करमछड़हा




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टिप्पणियाँ

Ashu Mishra ने कहा…
छत्तीसगढ़ के रत्न
Seema Sharma ने कहा…
धन्यवाद।