द्वारा:- सीमा शर्मा
"हम अपना वोट सिर्फ अपनी जाति वाले 'फलां जी', को देंगे।
भाई-"पर दूसरे ने तो नौकरी दिलाने का वादा किया हैं!"
पत्नी:-"जी आप यह क्या कह रहे हैं, उसके पूरे घर मे भी अगर एक सदस्य भी बेदाग हो तो बताइए, वह खुद दो साल का सजायाफ्ता रह चुका है"
माँ:- "बस एक साल से बच गया, नहीं तो चुनाव में ही खड़े नहीं हो सकता था..."
बीच मे पिता ने कहा:-" यही तो गनीमत हैं, न तीन साल का तो नहीं है, इसी लिए तो सुरक्षित कैंडिडेट हैं, चुनिंदा में से एक और पसंदीदा में से एक"
उसने फिर कहा-"वैसे दूसरे तो पढ़े लिखे भी है, पर यह अपना खासमखास हैं"
पत्नी:-"लेकिन...........।"
बीच मे ही, "तो तय रहा हम सब का वोट 'फलां जी' को ही जाएगा।"
सब के मन में दुविधा आ गई, कोई नौकरी दिलाने वाले के सपने देख रहा था, कोई बेदाग के उम्मीद में अच्छे दिन के, और कोई इस लिए की लोकल कैंडिडेट को जिताने के बदले मिले हुए हेतुक के बदले पांच वोट उसके अपने ही पाले में थी।
टिप्पणियाँ
Specially i m impressed with pencil sketches
My daughter sketched it.