उदासी की चादर
पाठकों यह कहानी एक विषम प्रथा, यानी दहेज व्यवस्था पर आधारित है, जो कन्या भ्रूण हत्या का एक मुख्य कारण है, दहेज एक अरबी मूल का शब्द है, यह हिंदू धर्म में होते विवाह पश्चात दिए जाने वाले स्त्री धन से भिन्न है, कहानी को लिखने की आज के दिनांक में परम आवश्यकता है, आज मूल्यों का ह्रास हो रहा है facebook/ instagram reels और YouTube shorts के समय में लोग कम समय में ज्यादा लाइक comments share किए जाने, subscribe, follow किए जाने के लिए मनगढ़ंत, गैर कानूनी, अपराधिक या अनैतिक किसी भी प्रवृत्ति को बढ़ावा देने पर तुले हुए है, आश्चर्य का विषय तो यह है, की कई पढ़े लिखे जन इन आपराधिक कृत्यों को बढ़ावा देते है, अधिकांश ऐसे creators और उनके followers इन reels, shorts के मुख्य केंद्र में दहेज को विषय बना देते है, और इसके महिमा मंडन करने पर उतारू होते है, कहते है कि यह लड़के को और लड़की दोनो के आर्थिक रूप से सुचारू चलने या सुदृढ़ करने के लिए उचित है, यहां तक कि कुछ घटनाओं के आधार पर महिलाओं को इस प्रकार का दोष देते है की यह लोग किसी बारहवीं पढ़े या बेरोजगार से विवाह जब नहीं करते है तो अधिक पढ़े लिखे यह संपन्न वर से विवाह करने के लिए, दहेज देना आवश्यक है, साथ ही साथ इनकी लड़कियों की कमी को दहेज छुपा देता है।
जब से मैंने इस reel को देखा था तभी से मन में असंतोष उत्पन्न हो गया था, मैं विचारो में डूब गई कोई इतना निकृष्ट कैसे हो सकता है की, महिला का अस्तित्व केवल उसके विवाह पश्चात उसके पति उसके ससुराल के संबंधियों पर स्थित है, इस विचार को बढ़ा चढ़ा का like पाने के लिए वीडियो बना कर बताने लगे, आज का युवा इस प्रकार का मिथ्याभाषी कैसे हो सकता है, वैसे इस बात से सभी सहमत होंगे की पुरुष प्रधान समाज का निर्माण स्वयं पुरुषो ने किया है, किसी महिला को यह कहने, लिखने की अथवा आचरण में उतारने की आवश्यकता तो कभी नहीं रही होगी की वह अनिच्छा से किसी और व्यक्ति के आधीन रहे। मैं स्वयं इस बात पर विश्वास रखती हूं की हम सब शरीर से पहले आत्मा है और आत्म सम्मान से ऊपर कोई भी नहीं है और कुछ भी नहीं है, फिर भी आजकल so called influencers सिर्फ कुछ like पाने के लिए इस हद तक गिर गए है की उनके लिए ये दहेज जैसा विषय कोई मनोरंजन मात्र है, इसे वह इस प्रकार से ही प्रकट करते है, नए समय के बालक और युवा किसी परिस्थिति का वास्तविक अवलोकन करने के स्थान पर इन so called influencers के दुम बन कर घूमने में विश्वास रखने लगे है। कम से कम इनके comments पढ़ कर तो यही समझ आता है, influencers बनने के होड़ में नए नए followers पाने की इच्छा ने आज के युवा को अंध बना दिया है, यह महिलाओं के शिक्षा का तक विरोध करते है। गांवों में यह पिछड़े शहरो मे तो यह समस्या अत्यधिक है। यह influencers अपने को यहां पर कोई ज्ञानी महात्मा से कम नहीं समझते। पुरुषो की समस्या उठाने के बहाने यह महिलाओं के शोषण को बढ़ावा दे रहे है।
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