पाठकों मैं रचनात्मक कार्यों से एक बहुत लंबे समय से जुड़ी हूं, कुछ समय पहले मैंने अलग अलग विषयों पर भी लिखना शुरू किया है, मेरी हार्दिक इच्छा है आप सभी का इसमें सहयोग प्राप्त होगा। इस ब्लॉग के बाद मेरे लिखे कविताओं के आगामी अंक की भी पढ़ने की कृपा करें।
सच्चा कवि कौन है?
अनुचित, अधार्मिक, वैमनस्यता से पूर्ण काव्य ना गढ़े,
नीचा दिखाते हुए ना लिखे, काव्य का स्वार्थपरक हितो
के लिए उपयोग ना करें।पर इसका अर्थ ये नहीं है
की वह कायर, संकोची, कातर हो या निष्प्राण तथा
निरुत्साह होकर काव्य रचना करे। क्योंकि भाषा की
समृद्धि साहित्य पर ही स्थित है,।इनसे ही जन सामान्य में
अनन्य शब्दों का वृहद प्रसार होता है, दुर्भावनापूर्ण रचे जाने वाले काव्य, दोषपूर्ण चारित्रिक व्यक्तित्व एवं मर्यादा क्षीण करने
वाले काव्य की रचना करना सरलता से प्रसिद्धि प्राप्त करा
सकती है तथा आर्थिक रूप से फलित होगी, परंतु यह भाषा
में दीर्घ काल में उत्पन्न होने वाली नई और विकट समस्याओं को जन्म देगी।
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