करीबीतुम संग हर लम्हा,मुझे हक सा लगता रहा,कभी लहम की आशिकी रही नहीं,कोई ज़ख्म दे कर,ख़ुद मैं ही झूठी आह भी कैसे भरती,चल,
कुछ और ग़लत फ़हमियों का क़त्ल करें! साथ में रो लें और अपना रुमाल भी सूख जाए।
- लाली
इल्म
दिल सुधर जा,
कि ये इम्तिहान की तस्दीक है,
न चाह उसे और,
कि वह नजदीक है,
जो इल्म भी हो जाये उसे,
किसी ख्वाहिश की,
आने देना न,
ये आलम, हँसी कर दे तो गम नहीं,
हां में मेरी ही मुश्किल बढ़ जाएगी।
-सीमा
दिल
पत्थर से बने इंसान,
लहम के बने दिल पर,
सर रखते है!
पूछिए,
की खूं-रेज़ी क्यों ना होगी!
-प्राची शर्मा
नसीहत
आराम के लिए,
शम्स का क़त्ल,
बेहद ख़राब है,
झूमना है,
बिना काहिल हुए,
फिर भी नशा करना,
बेहद ख़राब है,
जबान की मालिश,
लज़्ज़त से ही करनी है,
लेकिन खूं रेज़ी से ?
बेहद ख़राब है,
सिर्फ़ तरक्की हासिल करनी है,
लेकिन सिर तक ऊपर जा रही है,
जो नज़र,
उन नसीहतों को ना मानना बेहद ख़राब है!!
-सीमा शर्मा
कश
हर एक सफ़ेद कागज़ पर,
ताज़ी आशिक़ी भरे,
इंतज़ाम उसके करगुजारियो पर किया करे, भागती सरपट शायरी,
कलम जिंदगी की मियाद लिखा करे,
सुलगा रहे है होंठ,
बेफ़िक्री से,
जैसे टक्कर से कोई हट जाए परे,
हज़म किया एक दिन उसे,
उसी मुड़ी सफ़ेद कागज़ ने!
-सीमा शर्मा
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सीमा शर्मा, प्राची शर्मा
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