लम्हें لمحات
Moments
एक ही सवाल
तब तुम कहाँ थे,
तबाही के उस दिन से,
तुम्हे ढूंढ रहीं,
मेरी आंख,
तुम्हारी आँखों को,
अब बन्द हुए भी देख रही,
उस तस्वीर में,
मेरी तड़प तुम्हारी आँखों मे दिख रही,
अपनी आंख मेरे
उस एक लम्हे को छूने से,उस पल की तरक्की के खिलाफ़कोई ऐतराज नहीं होगाबस वो एक लम्हा अभी नहीं लिखा।
लोरी
सुबह तक 'उसे' बहला
रात मेरे दिल में आ
हो दिल खुश
ऐसी बातचीत बढ़ा।
रात दिल में आ
आ कर ठहर जा।
उदासीन जो हैं,
धड़कन
ग़म दूर करती जा
झोंका साथ लिए आ
ख़ुशबू थोड़ा महका
रात दिल में आ
संग थोड़ा दिल मिला
सुबह ही तक रुकना
चहकने से बीत जाना
की हैं इतनी तैयारियां
अब रात दिल में आकर
ठहर जा
पर्दा दरवाजे सा हैं
आवाज़ दे कर आ
बस दर्द और सब्र
जाने क्या क्या याद आ रहा है
तेरी भूल की सजा,
मेरा दिल पा रहा हैं,
जाने कौन-कौन याद दिला रहा हैं,
मशविरा न माने जाने के दर्द जता रहा हैं,
खोटी हो गई हो तक़दीर,
ऐसी बातें मानने को जी किए जा रहा हैं,
शुबहा कर ग़म से जुदा हो जाने को,
फिर भी किए जा रहा हैं,
ग़मज़दा ये हालात,
फिर रुलाई पर फिदा किए जा रहा हैं,
आज वो तेरे गप्प याद दिला रहा हैं,
लेकिन कितने और मोड़ चलने हो,
थमेगी कहीं ये बात,
उम्मीद में सारे फख्र,
उम्दा किए जा रहा हैं,
अलगाव कर मुझसे,
'मेरा', हम और जिए जा रहा हैं
तकाज़ा
दिल ख़ाली ख़ाली क्यूँ है?
ऐसे ही कुछ मुफ्त के नए ख्याल,
बुला के पहले बहलाया जिससे 'जी',
उफ 'बहेलिया',
क्यों ऊबकर,
एक पल ही में, रवाना हुआ,
खैर है, तस्सली भी कि खाली करो',
'यह मकान अब दूसरे को जाएगा',
यह तकाज़ा
अब दूसरी ख्वाहिश तक,
सुनने को नहीं आएगा।
प्यार और नज़र
प्यार वो फूल है,
जो शिखर से.
कोई ख्वाब, और,
गहराई से कुछ,
नसीब सा दिखता है,
प्यार वो फूल है,
जिसे गोताखोर मोती एक चुन,
गहरे समंदर से लाए हो बुन,
उसे अब धीमी एक धुन में
मैं थिरकते देखती हूँ।
कब्र के आख़िरी कील
ज़रा सा सब्र रखना था जब
कदम,
कब्र रखना था,
थोड़ा और जी कर,
सारे उधार दफा करना था,
बेपरवाह,
होना नहीं था खैरख्वाह,
जिधर रुलाई है,
पल भर की,
सुना है- दबी सी हँसी हैं,
जिस दिन,
कदम कब्र रखना था,
सचमुच,
जरा सा सब्र रखना था।
आरज़ू
ये मेरी आरजू है,
अर्ज करूं वो,
जो चाहूं
और जो चाह लिया,
उसे पूरा होते देखू,
आरजू हुई पूरी,
आपने,
लिखा हुआ वो पढ़ा,
जो आरजू थी मेरी।
कॉपीराइट: सीमा शर्मा
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