क्रमवार:-
पं● रविशंकर शुक्ल
तिलक के वाक्य "ब्रिटिश हुकूमत ताम्रपट के ऊपर पट्टा लिखा कर नहीं आई हैं", शुक्ल जी के जीवन मे परिवर्तन लाने वाली साबित हुई।
जन्म २ अगस्त, 1877, जिला:- सागर, मध्यप्रदेश, इनकी शिक्षा सागर (प्राथमिक) से लेकर रायपुर(हाइस्कूल), जबलपुर(इन्टर) नागपुर(बी.ए), कलकत्ता (बी.ए. की परीक्षा), जबलपुर(एल एल.बी) तक हुई, वकालत १९०८ से रायपुर से किया। यह जिन चार नेताओ से प्रभावित रहे वह है श्री बालगंगाधर तिलक, छत्रपति शिवाजी, पंडित मदनमोहन मालवीय और महात्मा गाँधी।इनके सुप्रसिद्ध मूछों के कारण इन्हें लोग प्यार से बूढे काका कहते थे।ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा चलाये मुकदमे से इनके राजनीतिक विचार चरम पर पहुंच गए, गांधी जी के प्रभाव से यह सत्याग्रह आंदोलन में कूद पड़े, व वर्ष क्रमशः १९२३, १९३०, १९३२,१९४० और १९४२ में जेल गए। इन आंदोलनों के कारण वक़ील होने के सूची से इनका नाम कट गया, जो बाद में सन् १९३५ में फिर लिखा गया।
मध्यप्रदेश के एक जेल में राजनीतिक बन्दियों के अन्य सामान्य अपराधियो के भांति अंगूठे के निशान लिए जाते थे,जहां उन्होनें इसका डट कर विरोध किया, उच्च अधिकारियों से इसके गैर कानूनी होने की शिकायत करते हुए अपने बात के समर्थन हेतु कानून कुल सौ किताबों की सूची भेजी, जिसके प्रभाव से यह मामला आगे नहीं बढ़ा और डिप्टी इंसपेक्टर जनरल ने राजनीतिक बन्दियों के अंगूठे के निशान ना लिए जाने का आदेश जारी किया। पढ़ाई के बाद और राजनीतिक क्षेत्र में आने के बाद तक वह कई सरकारी नौकरियों में रहे। अकाल राहत अधिकारी रहते हुए उन्होंने पाया कि राहत बांटने वाले अधिकारी व व्यापारी इसमें घोटाला करते है, पद में रहते हुए वह अपने सामग्री भी पीड़ित बच्चों में बांट देते थे, बाद में नायब तहसीलदारी और मुंसिफी के प्रस्ताव उन्होंने ठुकरा दिया, खैरागढ़ के स्कूल में हेडमास्टर भी रहे।
१९२६ से १९३६ तक यह रायपुर जिला परिषद के अध्यक्ष रहे, जिस अवधि में शिक्षा पर इनका बहुत जोर रहा, और बहुत से स्कूलों के संचालन भी किया, सन् १९३३ में स्वराज पार्टी के टिकट ओर वह विधान परिषद के सदस्य चुने गए, मध्यप्रदेश के पहले मन्त्री मण्डल मे शिक्षा और कृषि विभाग का कार्यभार सन् १९३७ में विभिन्न प्रान्तों के कांग्रेस सरकार में रहते हए सम्भाला।
राष्ट्रीय भावना से बनाई गई योजना "विद्या मंदिर योजना" (छात्र- छात्राओं को स्वावलम्बी बनाने हेतु) प्रसिद्ध हुई।
हिंदी के समर्थक होने के नाते अपने मुख्यमंत्रित्व काल ने ही स्वर्गीय डॉ● रघुवीर प्रसाद से हिंदी की व्यापक शब्दावली तैयार करवाई, हिंदी तथा मराठी का द्विभाषी राज्य होने और सरकारी कार्य के लिए मान्य होने पर भी शुक्ल जी के व्यक्तित्व प्रभाव से, दोनो ही भाषा समर्थकों में कोई झगड़ा नहीं रहा।
अगस्त १९३८ में वह प्रांत के मुख्यमंत्री चुने गए और नवम्बर १९३९ तक इसी पद में रहे, १ नवम्बर १९५६ के नए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, कार्यकाल के दो महीने बाद ३१ दिसम्बर, १९५६ को ८० वर्ष के दीर्घायु में दिल्ली में इनका स्वर्गवास हो गया। भारत छोड़ो आंदोलन में जब सभी नेता गिरफ्तार हो गये थे, तब इनकी जाती हुई कार को बम्बई की सड़क में गुस्साई भीड़ ने रोक लिया था, तब इनकी प्रसिद्ध मूंछो को देखकर एक कार्यकर्ता ने इन्हें पहचान के भीड़ से निकाला था।
वर्तमान में सामाजिक सद्भाव के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्ति को पंडित रविशंकर शुक्ल सम्मान दिया जाता हैं, जिसमे ₹ २,००,०००, तथा एक प्रशस्ति पत्र सम्मिलित रहता है।
सन्दर्भ:- भारत के गौरव(आंठवा भाग)।
द्वारा:- पीयूष कुमार 'नरेश'
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